Tere jane ke baad saare panne bikhar gaye.
Tuesday, July 19, 2011
Wednesday, September 23, 2009
बस...........
रात की स्याही छूट गई ,
तारों की माला टूट गई
वो रात हमारे साथ ही था,
मैं चाँद कहूं तो झूठ नही
तारों की माला टूट गई
वो रात हमारे साथ ही था,
मैं चाँद कहूं तो झूठ नही
Sunday, December 7, 2008
ब्लॉग की दुनिया में प्रवेश
कुछ कवितायें
जो ढलके कोई मोटी रुखसार पे ,
कोई याद आता होगा रात से
सिलवटें जो पड़ जायें चिरागों में
कोई गुजरता होगा चुपचाप से
जो ढलके कोई मोटी रुखसार पे ,
कोई याद आता होगा रात से
सिलवटें जो पड़ जायें चिरागों में
कोई गुजरता होगा चुपचाप से
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